वाराणसी हत्याकांड में खुलासा- कत्ल से पहले विक्की के लिए दादी ने बनवाई थी रोटियां, नौकरानी पर भी शक

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वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में गुप्ता परिवार के 5 सदस्यों के जघन्य हत्याकांड के दो हफ्ते बीत चुके हैं. लेकिन पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. पुलिस को पूरा यकीन है कि राजेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी नीतू सहित 2 बेटों और 1 बेटी को मौत के घाट उतारने वाला उनका बड़ा भतीजा विशाल उर्फ विक्की ही है. क्योंकि उसके मां-बाप और दादा को राजेंद्र गुप्ता ने मारा था, जिसका बदला लेने के लिए उसने इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया है.

27 साल पुराने चले आ रहे इस विवाद की असली वजह जायदाद है. इस केस में कई चौंका देने वाले खुलासे भी हुए हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पांच लोगों की हत्या करने का आरोपी विक्की अपनी दादी शारदा देवी से काफी क्लोज था. इस वारदात से पहले वो उनके पास घर पर आया था. दादी ने उसके लिए खाने में रोटियां भी बनवाई थीं. इसके लिए उन्होंने राजेंद्र गुप्ता की दूसरी पत्नी नीतू से कहा था कि वो नौकरानी से तीन रोटी अधिक बनवा ले.

डीसीपी गौरव बंसवाल ने बताया कि इस हत्याकांड में पहले ये शक हुआ था कि कई शूटर शामिल होंगे, क्योंकि 5 लोगों को मार पाना एक आदमी का काम नहीं लग रहा था. लेकिन गहराई से हुई जांच और पूछताछ में दादी शारदा देवी ने स्पष्ट बताया कि विक्की ने मंशा जाहिर की थी वो पूरे परिवार को खत्म कर देगा. इसी वजह से मल्टीपल शूटर से शक का दायरा एक अपराधी पर चला गया. वैसे भी विक्की इस वारदात के बाद से ही लापता चल रहा है.

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विक्की ने 22 अक्टूबर से ही मोबाइल बंद कर रखा है. उसकी कोई लोकेशन भी नहीं मिली है. वो बगैर फोन के ही दिवाली के समय आकर घर में रूका भी था. डीसीपी ने आगे बताया कि वारदात वाली रात में राजेंद्र गुप्ता को सोते हालत में ही उनके रोहनिया निर्माणाधीन मकान में सिर में दो गोलियां मारी गई थी. उसके बाद विक्की भदैनी घर पर सुबह 5-6 के बीच में आया था. नीतू सुबह फर्स्ट फ्लोर पर आती थी. वहीं एक कमरे में उसकी डेडबॉडी मिली थी.

विक्की घर के हर कोने से वाकिफ था. वो सेकेंड फ्लोर पर गया, जहां गौरांगी और छोटू सो रहे थे. उसने उन दोनों को भी गोली मार दी. उनकी मच्छरदानी में भी गोलियों से छेद हो गया. गौरांगी का शव फर्श पर मिली था. ऐसा लगता है कि उसने संघर्ष किया था, जबकि दूसरे बड़े बेटे का शव बाथरूम में मिला था. ऐसे में कहा जा सकता है कि दोनों ने संघर्ष करके अपनी जान बचाने की पूरी कोशिश की थी. यदि शूटर ज्यादा होते तो ऐसा संभव नहीं था.

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ये वरदात 5 नवंबर सुबह करीब 5-6 के बीच में हुई थी, लेकिन पुलिस को सूचना दोपहर 12 बजे दी गई, ऐसा क्यों? इस सवाल के जवाब में डीसीपी ने बताया कि ये थोड़ा सा अटपटा लगा था, क्योंकि घटना की सूचना यहां के लोगों नहीं दी, बल्कि दिल्ली में रहने वाली बेटी अनुप्रिया ने दिया था. नौकरानी ने सबसे पहले अनुप्रिया को ही कॉल करके बताया था. यह बात अटपटी लग रही है कि इतनी बड़ी वारदात हो जाने के बाद भी घर में मौजूद लोगों को पता नहीं चला.

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बताते चलें कि इस दुश्मनी की शुरुआत 27 साल पहले हो गई थी. साल 1997 में गुप्ता परिवार में खून खराबे की शुरुआत हुई. असल में राजेंद्र गुप्ता के पिता लक्ष्मी नारायण गुप्ता बनारस के बड़े कारोबारी थे. उनका प्रॉपर्टी और शराब का काम था. लक्ष्मी नारायण के दो बेटे रजेंद्र गुप्ता और कृष्णा गुप्ता थे. लेकिन लक्ष्मी नारायण अपने बड़े बेटे राजेंद्र गुप्ता के रवैये को लेकर नाखुश थे. उन्होंने अपने कारोबार का बड़ा हिस्सा छोटे बेटे कृष्णा गुप्ता के हवाले कर दिया था.

इसका नतीजा ये हुआ कि गुस्से में आकर राजेंद्र ने इसी साल यानी 1997 में एक रोज़ अपने छोटे भाई कृष्णा गुप्ता और उसकी पत्नी सोते समय गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी. इसके बाद राजेंद्र तो गिरफ्तार हो कर जेल चला गया, लेकिन इस वारदात से अपने बड़े बेटे राजेंद्र पर लक्ष्मी नारायण गुप्ता का गुस्सा और बढ़ गया. उन्होंने अब कृष्णा के दो बेटों विक्की और जुगनू को काम सिखाना शुरू कर दिया. उधर, जेल में बंद राजेंद्र अब भी अपने पिता के रवैये से गुस्से में था.

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6 साल जेल में गुजारने के बाद साल 2003 में उसे जैसे ही अपने भाई और भाभी के कत्ल की सजा में पेरोल मिली, बाहर आकर उसने एक और बड़ी वारदात को अंजाम दिया. असल में वो अब भी अपने पिता से प्रॉपर्टी और कारोबार का हिस्सा मांग रहा था, लेकिन लक्ष्मी नारायण इसके लिए तैयार नहीं थे. अचानक एक रोज़ शहर के रामचंद्र शुक्ला चौराहे के पास गुमनाम कातिलों ने लक्ष्मी नारायण गुप्ता और उनके पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड की गोली मार कर हत्या कर दी.

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इस मामले में शक की सुई पहले ही दिन से बेटे राजेंद्र गुप्ता पर ही थी. ऐसे में जब जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि राजेंद्र गुप्ता ने ही सुपारी दे कर अपने पिता और उनके सिक्योरिटी गार्ड का कत्ल करवा दिया. राजेंद्र ने दो शादियां की थी. पहली शादी 1995 में हुई थी, लेकिन अपनी पहली पत्नी को राजेंद्र ने शादी के दो साल बाद ही छोड़ दिया था. इसके बाद साल 2003 में जब वो बाहर आया, तो उसने नीतू से दूसरी शादी की और जिससे उन्हें तीन बच्चे हुए.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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